Bird Flu के कहर से जो मुर्गे बच रहे, उनकी Heart Attack से हो रही मौत, जानें वजह
इन मुर्गों की हो रही है मौत
हार्ट अटैक से उन मुर्गों की मौत हो रही है, जिनका वजन 2.5 किलो से ज्यादा होता है. बैन लगने से ऐसे भारी भरकम मुर्गों को पोल्ट्री से बाहर भेजने में भी दिक्कत आ रही है. पोल्ट्री में दाना खा-खाकर उसका वजन बढ़ रहा है.
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40 दिनों में ही बढ़ जाता है वजन
पोल्ट्री फॉर्म के मालिकों के अनुसार ब्रायलर ब्रीड का मुर्गा 15 दिन का होता है तो उसका वजन केवल 500 से 600 ग्राम होता है. 30 दिन में 1.25 किलो का और 35 दिन में दो किलो का हो जाता है. पांच दिन में ही मुर्गे की खुराक बढ़ जाती है और वो ज्यादा खाने-पीने लगता है. 40 दिन में ऐसे मुर्गे का वजन 2.5 किलो हो जाता है.
मार्केट में रहती है डिमांड
इतने वजन वाले मुर्गे की डिमांड मार्केट में रहती है. उसके बाद ये न के बराबर बिकता है. ओवर वेट होने की वजह से चल नहीं पाता है और खाना-पीना भी कम हो जाता है. इस वजह से एक जगह रहने पर और खाना-पीना कम होने पर इसको हार्ट अटैक आ जाता है.
रेट तय होने में वजन महत्वपूर्ण
किसी भी मुर्गे या फिर मुर्गी का रेट तय होने में उसके वजन का बहुत योगदान रहता है. आमतौर पर 900 ग्राम से लेकर 1.25 किलो वजन तक का मुर्गा तंदूरी चिकन बनाने में इस्तेमाल होता है. इसी तरह 1400 ग्राम से 1700 ग्राम तक का चिकन मीडियम और 2.5 किलो का मुर्गा मोटे की कैटेगिरी में आता है. 2.5 किलो वाला ज़्यादातर चिकन कोरमा बनाने में इस्तेमाल होता है.
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